करवा चौथ क्यों मानया जाता है इसकी पूरी कहानी

By Bharat Israni

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करवा चौथ की कहानी प्राचीन भारतीय संस्कृति में महिलाओं और उनके पति-पत्नी संबंधों को महत्व देने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। इसका प्राचीन इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है।

कहानी के अनुसर, एक समय द्रौपदी, पांडवों की पत्नी, अपनी सहेलियां और माता के साथ अपना व्रत रखती थी। उन्हें बिना खाना पिए दिन भर व्रत करना था, लेकिन उनकी स्थिति बहुत कम हो गई। अर्जुन, पांडवों में से एक, अपनी पत्नी द्रौपदी को देख कर व्यथित हुआ। उन्होंने भगवान कृष्ण से सलाह ली और उन्हें बताया कि द्रौपदी की इच्छा है कि उनका पति लंबी उम्र और सुरक्षा से जुड़ें। भगवान कृष्ण ने उन्हें सलाह दी कि द्रौपदी करवा चौथ व्रत करें।

ठीक है, द्रौपदी ने करवा चौथ व्रत किया और अपने पति अर्जुन की लंबी उम्र की कामना की। लेकिन ये व्रत बिना खाना खाने के बहुत कष्टकर था। इस समय, अर्जुन अपने रथ से लौट रहे थे, लेकिन सूरज अस्त के दूसरे दिन तक उनका व्रत खत्म नहीं हो सकता था। द्रौपदी ने अपने व्रत को चंद्रमा की मदद से रखा, जिससे अर्जुन की सुरक्षा हो सके।

अर्जुन ने चंद्रमा को देख कर द्रौपदी को खाना और पानी की व्यवस्था दी, जिसका व्रत सफल हो सके। इस करवा चौथ का व्रत बड़ा प्रसिद्ध हुआ और यह पति-पत्नी के प्रेम और सामंत का प्रतीक बन गया।

इस तरह, करवा चौथ एक पति की लंबी उम्र और पत्नी की खुशी की कामना को महिलाओं के प्रेम और सामंत के माध्यम से प्रकट करने का त्यौहार बन गया है। इस दिन, पत्नी अपने पति की लंबी उमर की कामना करती है और पति भी अपनी पत्नी की समृद्धि और सुख-शांति की कामना करता करवा चौथ एक हिंदू त्यौहार है जो भारत में प्राचीन परंपरा और संस्कारों का हिस्सा है। इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं। ये त्यौहार भारतीय संस्कृति में प्रेम और समानता को महत्व देती है। इस दिन पत्नी व्रत करके दिन भर बिना खाना खाए की कसम खाती हैं, और इस व्रत को चंद्रमा की मदद से तोड़ते हैं। करवा चौथ के दिन पटनियां सुंदर सजकर, मेहंदी और सज-सजाकर तैयार होती हैं। ये त्यौहार उनकी पति-पत्नी की प्रेम और सामंत को स्थापित करने का एक अवसर है

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