रायपुर के पूर्व कलेक्टर एवं छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री ओपी चौधरी का जीवन परिचय

By Bharat Israni

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ओपी चौधरी जी का जन्म 2 जून 1981 को रायगढ़ जिले की ओपी चौधरी जी का जन्म खरसिया ब्लॉक के ग्राम बायंग में हुआ उनके पिता खरसिया के सरकारी स्कूल में शिक्षक थे जब ओमप्रकाश चौधरी 8 साल के थे तब उनके पिता का स्वर्गवास हो गया उसके बाद उनकी माता कौशल्या ने पेंशन की आय से उनको पाला। ओपी चौधरी ने पांचवीं तक की शिक्षा अपने गांव बायंग के सरकारी स्कूल से पूरी की। फिर आठवी तक की शिक्षा जैमुरी से की। बारहवीं तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने के बाद उन्होंने पीईटी क्लियर की पर वह इंजीनियर ना बन कर आईएएस ही बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने भिलाई से बीएससी किया।

पहले ट्राय में ही यूपीएससी पास किया

ओपी चौधरी ने यूपीएससी की तैयारी कर अपने पहले ही प्रयास में एग्जाम क्रैक कर लिया। वह मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही आईएएस अफसर बन गए थे। ओपी चौधरी 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अफसर थे। पहली पोस्टिंग सहायक कलेक्टर के तौर पर 2006 में कोरबा में हुई। इसके बाद 2007 में उन्हें रायपुर में एसडीएम बनाया गया। 2007 में उन्हें जांजगीर जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। वे राजधानी रायपुर के नगर निगम कमिश्नर भी रहे। साल 2011 में उन्हें दंतेवाड़ा में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ किया गया। ओपी चौधरी रायपुर कलेक्टर भी रह चुके है।

आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीती में किया प्रवेश

आईएएस की नौकरी छोड़ उन्होंने 2018 में सबसे पहले खरसिया से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें कांग्रेस के उमेश पटेल ने 16 हज़ार 967 वोटो से हार का सामना करना पड़ा चुनाव हारने के बाद भी वे पार्टी में सक्रिय रहे और लोगों की सेवा की उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें पार्टी द्वारा प्रदेश भाजपा महामंत्री बना दिया गया पार्टी ने 2023 में उन पर भारोसा जताया और वे पहली बार रायगढ़ विधानसभा से विधायक बने वे पूरे रायगढ़ जिले में आने वाले विधानसभा में जीते इकलौते भाजपा विधायक है। ओपी को अमित शाह ने प्रचार के दौरान बड़ा आदमी बनाने की बात भी कही थी। जिसके चलते उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की भी चर्चा चल रही थी उन्होंने कांग्रेस विधायक प्रकाश नायक को 64 हजार 443 वोटों से हराया है।

आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों के एजुकेशन के लिए भी काम किया

दंतेवाड़ा कलेक्टर के पद पर रहते हुए इन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया था। साथ ही इंजीनियरिंग तथा मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग की सुविधा के साथ रेसीडेंसियल स्कूल की शुरुआत की। चौधरी ने जावंगा को 2011 में शिक्षा के एक बड़े सेंटर के रूप में डेवलप किया। चौधरी ने जिले में लाइवलीहुड कॉलेज की भी शुरुआत की। जिसे बाद में पूरे राज्य में लागू किया गया। 2011-12 में बेहतर काम के लिए उन्हें तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने एक्सीलेंस अवार्ड से भी नवाजा।

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